चौरासी मंदिर भर्मौर शहर के केंद्र में स्थित है और 1400 साल पहले बनाए गए मंदिरों के कारण इसमें अत्यधिक धार्मिक महत्व है। यम देवता को समर्पित यह मंदिर हिमाचल के चम्बा जिले में भरमौर नामक स्थान पर स्तिथ है। यह जगह दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर दूर स्तिथ है। यह मंदिर देखने में एक घर की तरह दिखाई देता है। इस मंदिर में एक खाली कक्ष भी है जिसे चित्रगुप्त का कक्ष कहा जाता है। चित्रगुप्त यमराज के सचिव हैं जो जीवात्मा के कर्मो का लेखा-जोखा रखते हैं। चौरासी, जिसका नाम चौरासी मंदिर की परिधि में निर्मित 84 मंदिरों के कारण है। चौरासी मंदिर परिसर लगभग 7 वीं शताब्दी में बनाया गया था भरमौर स्थित चैरासी मंदिर इस मंदिर की मान्यता है की यह एक मात्र मौत के देवता का अकेला मंदिर है। इस मंदिर में माना जाता है इंसान अगर जिंदा रहते हुए नही आया तो उसे मौत के बाद उसके आत्मा को यहां आना पड़ता है। यहां आने के बाद उसके पाप और पुन्य दोनों का फैसला कर के उसे स्वर्ग और नर्क में भेजा जाता है। इस मंदिर में आने वाली आत्मा को धर्मराज के पास जाने से पहले एक और देवता के पास जाना पड़ता है जिन्हें चित्रगुप्त के नाम से जाना जाता है। इस धर्मराज के मंदिर सैकड़ो साल से अखंड धुना चल रहा है। इस मंदिर आम तौर पर लोग आने से घबराते हैं। कहते हैं महाशिवरात्रि पर्व पर पाताल लोक में विराजमान भगवान शिव कैलाश को प्रस्थान करते हैं। इस यात्रा के दौरान शिव भगवान चंबा भरमौर स्थित अति प्राचीन चौरासी मंदिर में विश्राम करते हैं। उनके इस विश्राम को साकार रूप देने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु भरमौर के चौरासी मंदिर में जुटते हैं। साल में यह पहला मौका होता है जब रात के चार पहर विशेष पूजा-अर्चना चलती है और लगातार घंटियों का शोर समूचे भरमौर में सुनाई देता है।

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